Power Of Attorney Vs Registry – दोस्तों जब भी हम कोई प्रॉपर्टी खरीदने हैं तो हमें वह जानकारी नहीं होती है कि वह प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी है या पावर ऑफ अटॉर्नी है। कई बार हम पावर ऑफ अटॉर्नी वाली प्रॉपर्टी को खरीद लेते हैं इसके बाद हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब भारत में भी पावर ऑफ अटॉर्नी पर खरीदी गई संपत्ति या प्रॉपर्टी को भारत सरकार अवैध दस्तावेज मानती है।
दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम लोग बात करेंगे की पावर ऑफ अटॉर्नी और रजिस्ट्री में अंतर क्या है? (Power Of Attorney Vs Registry) इनमे से कौन सा डॉक्यूमेंट महत्वपूर्ण है? और पावर ऑफ अटॉर्नी और रजिस्ट्री में अंतर (Power Of Attorney Vs Registry) क्या है? प्रॉपर्टी खरीदते समय कौन सा करवाना चाहिए?
दोस्तों इन्हीं सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आज हम लोग बात करेंगे तो सबसे पहले हम लोग यह जान लेते हैं की रजिस्ट्री क्या होती है?
रजिस्ट्री क्या होती है? – What Is Registry In Hindi?
प्रॉपर्टी में रजिस्ट्री या सेल डीड एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट होता है जिसका उपयोग प्रोपर्टी लेनदेन में किया जाता है। इस सेल डीड के माध्यम से किसी भी प्रॉपर्टी को विक्रेता से क्रेता के पक्ष में मालिकाना हक़ या ओनरशिप ट्रांसफर किया जाता है। इस रजिस्ट्री या सेल डीड में उस प्रॉपर्टी की सारी जानकरी होती है।
सेल डीड को हिंदी में बिक्रीनामा या बैनामा पेपर कहते है। यह एक कानूनी डॉक्यूमेंट है जो प्रॉपर्टी के मालिक को प्रॉपर्टी के अधिकारों को खरीदार के नाम पर ट्रांसफर करने का अधिकार देता है।
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी क्या होती है? – What Is Power Of Attorney In Hindi?
पावर ऑफ़ अटॉर्नी (Power of Attorney) एक विशेष प्रकार का कानूनी लीगल दस्तावेज होता है, जिसमें एक व्यक्ति (जिसे ग्राहक कहा जाता है) एक अन्य व्यक्ति (जिसे एजेंट कहा जाता है) को अपने नाम पर कार्य करने के लिए अधिकार प्रदान करता है। पावर ऑफ़ अटॉर्नी का इस्तेमाल आम तौर पर तब होता है जब कोई शख्स बहुत ज्यादा बीमार हो, विदेश में हो या फिर बढ़ती उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा हो और इस वजह से वह संपत्ति खरीदने-बेचने जैसे काम करने में असमर्थ हो।
जो व्यक्ति पावर ऑफ अटॉर्नी जारी करता है उसे प्रिंसिपल या डोनर कहा जाता है। और जिस व्यक्ति के नाम अधिकृत करता है उसे पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है।
पावर ऑफ अटॉर्नी और रजिस्ट्री में अंतर – Power Of Attorney Vs Registry
पावर ऑफ अटॉर्नी और रजिस्ट्री में अंतर काफी होता है। प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की अधिनियम 1908 और पावर ऑफ अटॉर्नी की अधिनियम 1882 दोनो अलग अलग अधिनियम और दोनों अलग-अलग कानून एक्ट है।
पावर ऑफ़ अटॉर्नी का मतलब
मान लीजिए आपकी कोई प्रॉपर्टी है और आप विदेश में नौकरी कर रहे हैं, आप कहीं सरकारी जॉब कर रहे हैं, आपकी प्रॉपर्टी से जुड़ा कोई भी केस चल रहा है और आपको कोर्ट आने जाने में तकलीफ होती है या आप काफी लंबे समय से बीमार है तो आप किसी व्यक्ति को इन सभी कामों के लिए नियुक्त कर सकते हैं। आप चाहें तो उस व्यक्ति को प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार दे सकते हैं इसके अलावा आप किराए पर और कानूनी संबंधी भी अधिकार दे सकते हैं। वह व्यक्ति कानून की नजर में रजिस्टर्ड हो जाएगा और उसे उस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी मान लिया जाएगा। अब उसके पास जमीन के सारे पावर है।
रजिस्ट्री का मतलब
मान लीजिए कि आपके पास कोई प्रॉपर्टी है और आपने उस प्रॉपर्टी को किसी को बेच दिया तो अब वह प्रॉपर्टी हमेशा के लिए उस खरीददार का हो जायेगा और आपने अपने सारे अधिकार खरीददार को दे दिए है। आप कभी भी वह वापस नहीं ले सकते हैं। इस तरह की प्रॉपर्टी को दूसरा कोई रजिस्ट्री नही कर सकता क्योंकि इसमें आपने किसी को प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार नहीं दिया है।
पावर ऑफ अटॉर्नी के नुकसान – Disadvantages Of Power Of Attorney
- पावर ऑफ अटॉर्नी में मूल मालिक जब चाहे तब रजिस्ट्री कैंसिल करा सकता है। अगर प्रॉपर्टी के मूल मालिक को ये लगे कि यह व्यक्ति गलत कार्य कर रहा है, प्रॉपर्टी सही से नहीं बेच रहा है या कानूनी प्रक्रियाओं का सामना सही से नहीं कर पा रहा है तो ऐसी स्थिति में पावर ऑफ अटॉर्नी से उस व्यक्ति को हटा सकते हैं। इसके लिए प्रॉपर्टी के मूल मालिक को रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर सूचना देना होगा की जो मैंने पावर ऑफ अटॉर्नी नियुक्त किया था, जिसे मैंने जमीन बेचने के पावर दिए थे उसे अब में नष्ट करता हूं।
- आजकल लोग बड़े-बड़े शहरों में पावर ऑफ अटॉर्नी से जमीन खरीद लेते हैं उन्हें यह बिलकुल नहीं पता होता की यह बिल्कुल इनवेलिड है क्योंकि पावर ऑफ अटॉर्नी होने के बाद भी मूल मालिक रजिस्ट्रार ऑफिस में आपत्ति जता सकता है जिसके परिणामस्वरूप प्रॉपर्टी आपके हाथ से जा सकती है जबकि रजिस्ट्री में ऐसा नही होता है। अगर आपने एकबार प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवा ली तो वह प्रॉपर्टी पूर्णतः आपकी हो जायेगी उस पर किसी का कोई अधिकार नहीं है। व्यक्ति के मरने के बाद भी वह प्रॉपर्टी उसके उत्तराधिकारियों को ट्रांसफर हो जाती है। हालांकि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के बाद दाखिल खारिज करवाना अनिवार्य है।
- पावर ऑफ अटॉर्नी में जमीन का मुवावजा नही मिलता है। मानलीजिये आपकी जमीन पर कोई सरकारी योजना के तहत भूमि अधिकृत हुई है तो आपको जमीन का मुआवजा नहीं मिलेगा क्योंकि आपने पावर ऑफ अटॉर्नी कराते समय सरकार को स्टांप ड्यूटी नही अदा किया है। आपको जमीन की सर्किल रेट के अनुसार स्टैंप ड्यूटी देनी पड़ती है तभी वह प्रॉपर्टी सरकार के भूलेख विभाग में रजिस्टर्ड होती है।
निष्कर्ष / Conclusion
दोस्तों अंत में इतना ही कहना चाहूंगा कि जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीद रहें हो तो पावर ऑफ अटॉर्नी या ₹100 रुपए के स्टांप पेपर पर प्रॉपर्टी बिलकुल ना खरीदें। किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए रजिस्ट्री और दाखिल खारिज अनिवार्य है। ऊपर हमने जाना की पावर ऑफ अटॉर्नी और रजिस्ट्री में अंतर – Power Of Attorney Vs Registry इन सभी विषयों पर हमने आपको जानकारी देने की कोशिश की है।
उम्मीद करता हूं आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वह भी इस जानकारी को समझ सके और गलत प्रॉपर्टी लेने से अपने आप को बचा सकें। अगर आपको इस टॉपिक में से कुछ बात समझ में ना आई हो तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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Q1 – ye kaise pta chelga ki jis property ki registry hui h wo phle se kisi or k pas nhi h.. Or orginal registry paper kaisa hota h?
Q2. Agr dakhil kharij krne k bd pta chalta h ki es jamin s ki ko problem h to phr us case m kya hoga? kya humare paise wapis milenge?
Kripya answer de bhut jrurt h es chij ki?
Dhnyebd apka
Dear Rishi,
Answer 1 – Jab aap ragistry karwate hain to aapko ek Registration number milta hai jisme saari jankari hoti hai…aap chahe to State ki official website par check kar sakte hain..Aur wese bhi agar wo jameen aapki hai to aapke bina aur koi bhi uska registry nahi kar sakta hai.
Answer 2 – Kisi property ka Dakhil kharij ek tahsildar dwara verify karne ke baad hi kiya jaata hai. Fir bhi agar aisa hota hai to aap nichli adalat me jaakar sikayat kar sakte hain. Jahan tak paison ki baat hai to…agar aap ye case jeet jaate hain to aapko pure paise aur harjana bhi milega.
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