जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? – नियम 2024

Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? हर किसी व्यक्ति के जीवन में जमीन लेना एक अनमोल हिस्सा होता है। जमीन लेने के लिए वह अपने जीवन की महत्वपूर्ण कमाई को अपने भविष्य के लिए निवेश करता है। जमीन लेने के बाद उस जमीन को सरकार के भूलेख विभाग में रजिस्ट्री करवाना होता है।

भारत में जमीन की रजिस्ट्री को लेकर आज भी बहुत से लोग अनजान हैं। उन्हें यह नहीं पता कि जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? जमीन की रजिस्ट्री क्यों करवाते हैं और जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए कौन कौन से डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है।

दोस्तों आज के इस लेख में हम लोग इन्हीं सभी सवालों के आसान जवाब देंगे कि रजिस्ट्री करवाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। किसी Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai?  इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ें क्योंकि यह जानकारी जमीन की खरीद बिक्री से संबंधित है आपके जीवन में यह समस्या कभी न कभी जरूर आएगी।

तो सबसे पहले बात करते हैं कि जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai?

जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है ? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai?

दोस्तों अगर कोई व्यक्ति किसी भी जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदने की बात करता है तो सबसे पहले वह सेलर यानी विक्रेता से वह बात विचार करता है कथा क्रेता और विक्रेता दोनों के बीच में प्रॉपर्टी के रेट का डिस्कशन होता है। जब दोनों के बीच रेट तय हो जाता है तो एक एग्रीमेंट तैयार किया है। वहां पर विक्रेता को उस प्रॉपर्टी के रेट का कुछ एडवांस दिया जाता है।
यह एडवांस प्राय: उस प्रॉपर्टी के कुल कीमत का 10% – 15% होता है। जमीन के मालिक को एडवांस पैसे देने के बाद आगे कागजी प्रक्रिया शुरू होती है।

आईये इसे एक उदाहरण से समझते हैं।

मान के चलिए आपने ₹ 10,00,000 में किसी जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदा है तो वहां पर आपको Seller को कम से कम ₹ 1,00,000 एडवांस देना होगा एडवांस कराते वक्त आपको एग्रीमेंट करना होता है। एग्रीमेंट में जो जमीन बेच रहा है यानी की Seller और जो जमीन खरीद रहा यानी Buyer दोनों का फुल डिटेल होता है। उस एग्रीमेंट में Buyer को पैसा कब तक और कैसे भुगतान करना है वह भी सारा टर्म्स एंड कंडीशन (Terms & Condition) लिखा होता हैं ताकि बाद में कोई दिक्कत ना हो। उस एग्रीमेंट में गवाहों के सिग्नेचर होते हैं ताकि Seller और Buyer बाद में बदल ना सके।

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एग्रीमेंट हो जाने के बाद बाकी बचा हुआ राशि 2 या 3 महीने के अंदर देना होता है जमीन का पूर्ण भुगतान हो जाने के बाद दोनों पक्ष जमीन की रजिस्ट्री के लिए नजदीकी रजिस्ट्रार ऑफिस में जाते हैं। रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर उस जमीन का रजिस्ट्री या केवाला करवाना होता है तभी वह जमीन Buyer के नाम पर मान्य होती है।

रजिस्ट्री या केवाला रजिस्टार ऑफिस में जाकर के वहां पर कोई वकील या कोई नोटरी विक्रेता से बात करते हैं इसके लिए वह कुछ चार्ज लेते हैं और वहां पर एक सेल डीड तैयार कराते हैं।

ऊपर हमने जाना है जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है ? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? चलिए हम लोग अभी जान लेते हैं कि सेल डीड क्या होती है?

सेल डीड क्या होता है ? | What is Sale Deed?

जब हम जमीन की रजिस्ट्री करवाते है तो आपने सेल डीड के बारे में सुना होगा।
सेल डीड एक ऐसा प्रपत्र है जिसमें Seller और Buyer दोनों का उसमें डिटेल्स शामिल रहता है जैसे जमीन का लोकेशन, जमीन किस जगह पर स्थित है, उसका प्लॉट नंबर क्या है, उसका चौहद्दी क्या है, चारों तरफ कौन-कौन जमीन है, किसका किसका जमीन है। सारा चीज उसमें डिफाइन होता है और साथ मैं वह जमीन कितना में खरीदा गया है यह भी लिखा होता है। सारी जानकारी उस ड्राफ्ट में लिखी जाती है इसी को सेल डीड कहा जाता है।

सेल डीड तैयार करा लेने के बाद एविडेंस के तौर पर यानी कि दो गवाह को लाकर उसमें सिग्नेचर करवाया जाता है साथ में सेलर और बायर भी सिग्नेचर करते हैं। इसके बाद अंगूठा भी लगाना पड़ता है तो उस तरह से एक ड्राफ्ट तैयार हो जाता है जिसको हम लोग सेल डीड कहते हैं। सेल डीड कानूनी तौर पर तभी वैध होगा जब आप उसका रजिस्टर करवाएंगे रजिस्टर करवाने के लिए Sub-Registrar ऑफिस जाना होता है।

Sub-Registrar ऑफिस जाने के बाद वहां पर आपको स्टांप ड्यूटी Pay करना होता है।

स्टैंप ड्यूटी क्या है? What Is Stamp Duty?

जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? - नियम 2024

स्टाम्प ड्यूटी एक प्रकार का सरकारी कर है, जो सीधे राज्य सरकार को जाता है। राज्य सरकार को जितना टैक्स चाहिए, उतना स्टांप ड्यूटी चार्ज भी देना होगा। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आप स्टाम्प ड्यूटी के माध्यम से किसी भूमि की रजिस्ट्री करवाते हैं तो भविष्य में यदि कोई कानूनी समस्या उत्पन्न होती है तो उस पंजीकृत फाइल को न्यायालय में साक्षी के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। स्टांप ड्यूटी आपके प्रॉपर्टी की कुल कीमत पर निर्भर करता है।

मान के चलिए आप एक करोड़ की कोई प्रॉपर्टीज खरीद रहे हैं तो उस प्रॉपर्टी की कुल कीमत का लगभग 4 से 10 परसेंट स्टांप ड्यूटी अदा करना होता है। स्टाम्प ड्यूटी जानने से पहले आपको सर्किल रेट जरूर पता होना चाहिए। सर्किल रेट पता करने के लिए आप नजदीकी तहसील में जाकर पता कर सकते है। इसके अलावा आप राज्य की भूलेख विभाग की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर भी ऑनलाइन चेक कर सकते हैं।

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यानी एक करोड़ पर आपको 4 लाख से लेकर 10 लाख तक स्टांप ड्यूटी पे करना पड़ सकता है। स्टाम्प ड्यूटी के अलावा आपको पंजीकरण शुल्क भी देना पड़ता है अगर आप एक करोड़ की प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो उसमें कुल प्रॉपर्टी कीमत का 1 परसेंट आपको रजिस्ट्रेशन फीस देना होगा। इसके अलावा आपको कुछ एडवोकेट फीस या वकील की फीस भी देनी पड़ सकती है।

Note :- प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन फीस लगभग सभी राज्य में एक जैसा ही होता है। लेकिन स्टांप ड्यूटी का रेट अलग अलग हो सकता है।

स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस जमा करने के बाद रजिस्ट्री का प्रोसेस आगे बढ़ा दिया जाता है। इतना सब हो जाने के बाद उस जमीन का रजिस्ट्री या केवाला हो जाता है।

जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए आवश्यक दस्तावेज

जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? - नियम 2024

जमीन की रजिस्ट्री के लिए निम्नलिखित डाक्यूमेंट्स की जरुरत होती है।

  • आधार कार्ड / वोटर आईडी / ड्राइविंग लाइसेंस
  • जमीन खाता प्रमाण पत्र
  • जमीन के पेपर (एलॉटमेंट लेटर)
  • नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
  • प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़ी लेटेस्ट रसीदें
  • बैनामा
  • बैंक चेक या फिर पैसे के लेनदेन का विवरण
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • दो गवाह

जमीन की रजिस्ट्री के फ़ायदे? | Jamin Ki Registry Ke Fayde?

यह उस प्रॉपर्टी का एक मुख्य डॉक्यूमेंट होता है और यह आपके प्रॉपर्टी के ओनरशिप को बताता है कि अब ये जमीन सरकारी खाते में आपके नाम से रजिस्टर्ड हो चुकी है। जमीन का रजिस्ट्रेशन प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को दर्शाता है यानी अगर आप जमीन या प्रॉपर्टीज का रजिस्ट्री नहीं करवाते हैं तो आप उस जमीन या प्रॉपर्टीज के मालिक नहीं होते हैं। अगर आपको मालिक बनना है तो आपको उस जमीन का रजिस्ट्री करवाना अत्यंत आवश्यक है तभी आप उस जमीन का मालिक हो सकते हैं।

प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रेशन करा लेने के बाद आपको कई सारे अधिकार मिल जाते हैं।
जैसे की :–

  • आप उस जमीन को रेंट पर भी लगा सकते हैं।
  • उस जमीन पर आप मकान बना सकते हैं।
  • आप उस जमीन को बेच सकते हैं।

इसके अलावा भी जमीन की रजिस्ट्री कराने से आपको बहुत सारे अधिकार मिल जाते हैं ।

रजिस्ट्री कराने के बाद भी आगे एक स्टेप और होता है जिसे हम म्यूटेशन या दाखिल खारिज कहते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों अब आप समझ चुके होंगे कि जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? जमीन का रजिस्ट्री करवाना क्यों जरूरी है। जब भी कोई आप जमीन खरीद रहे हो तो उस जमीन की रजिस्ट्री जरूर करवाएं और साथ में प्रॉपर्टी का म्यूटेशन भी जरूर करवाएं।

दोस्तों मुझे भरोसा है कि आपके लिए यह जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण रहा होगा। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो यह जानकारी अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि वह लोग भी इस जानकारी को समझ सके और आपके मन में जमीन की रजिस्ट्री को लेकर कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं मैं आपकी पूरी मदद करूंगा।

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6 thoughts on “जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? Jamin Ki Registry Kaise Hoti Hai? – नियम 2024”

  1. Namaskar ji Gautam budhha nagar me plot ya factory kharidane ke Li mujhe sabse pahle kaha our kiske pas Jana padega

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