क्या किराए पर घर देना सुरक्षित है? : आजकल बहुत से मकान मालिक अपने घर को किराए पर देने की सोचते हैं। मकान मालिक यही चाहते हैं कि हर महीने कुछ पैसे किराए के रूप में मिलते रहे लेकिन कुछ मकान मालिक पैसों के लालच में आकर किसी ऐसे किराएदार को घर किराए पर देने के लिए मजबूर हो जाते हैं जिनके बारे में उन्हें कुछ अता-पता नहीं है। ऐसे में बहुत से किराएदार उनकी संपत्ति का गलत उपयोग करते हैं जिनका नुकसान बाद में प्रॉपर्टी मलिक को ही भुगतना पड़ता है। माना की प्रॉपर्टी किराए पर देना इनकम का एक अच्छा साधन है लेकिन इसमें कुछ रिस्क भी हो सकते हैं।
दोस्तों अगर आप एक प्रॉपर्टी मालिक हैं और अपने प्रॉपर्टी रेंट पर देना चाहते हैं तो किरायेदार के बारे में खुद से जांच पड़ताल करने के बाद ही उसे प्रॉपर्टी रेंट पर दें। साथ ही आपको किराए से जुड़े कानूनों को समझना और उनका पालन करना भी बहुत जरूरी है।
दोस्तों आज के इस लेख में हम लोग जानेंगे कि क्या किराए पर घर देना सुरक्षित है? घर को किराए पर देने के क्या क्या फायदे और नुकसान हैं? साथ ही हम लोग जानेंगे कि किराए से जुड़े महत्वपूर्ण कानून कौन-कौन से हैं?
इस लेख को आप अंत तक जरूर पढ़ें जिससे आपको पूरी जानकारी हो सके। चलिए सबसे पहले जानते हैं कि क्या किराए पर घर देना सुरक्षित है?
क्या किराए पर घर देना सुरक्षित है? Is It Safe To Rent a House?
कई प्रॉपर्टी मालिक अपना घर किसी को किराए पर दे देते हैं। ताकि हर महीने एक निश्चित आमदनी होती रहे। लेकिन जब किराएदार उसे प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल करते हैं तब पछतावा होता है कि शायद किराएदार का वेरिफिकेशन किया होता तो ऐसा नहीं होता।
इसके अलावा जो प्रॉपर्टी मालिक घर से बाहर रहते है और उन्हें नहीं पता होता कि उसकी प्रॉपर्टी का देखभाल हो रहा है या नहीं। उन्हें सिर्फ हर महीने किराए से मतलब होता है। यही लापरवाही प्रॉपर्टी मालिक को किसी दिन भारी पड़ सकती है। आपको बता दें कि भारत में प्रॉपर्टी किराए को लेकर कुछ ऐसे नियम कानून हैं, जहां किरायेदार अगर किसी संपत्ति पर लगातार 12 साल रहने के बाद उस पर अपना अधिकार का दावा कर सकता है।
किरायेदार कितने साल बाद मालिक बनता है?
यदि भारत में कोई किरायेदार एक मकान/दुकान में 12 साल तक लगातार रहता है तो वह अदालत में उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है लेकिन आज भी बहुत से किराएदार इस कानून से अनजान हैं। हालांकि इसको लेकर भी काफी सख्त नियम कानून है जिसका पालन हर कोई किरायेदार नहीं कर पाता है लेकिन फिर भी यदि कोई किरायेदार ऐसा कर लेता है तो उस प्रॉपर्टी से हाथ धोने का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसा नहीं है कि किराए पर घर देना असुरक्षित है। अगर सहित कानूनी तरीकों से घर को रेंट पर दिया जाए तो हर महीने आय का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आजकल भारत में अधिकतर प्रॉपर्टी रेंट पर दी जाती है जिसके लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है।
घर को किराए पर देने के मुख्य फायदे?
घर या प्रॉपर्टी को किराये पर देने के 4 बड़े फायदे निचे लिखे गए है। इन फायदों को ध्यान में रखते हुए आप अपनी प्रॉपर्टी को किराये पर दे सकते हैं।
1. नियमित आय : किराए पर घर देने से आपको हर महीने एक नियमित आय मिलती है, जो आपके आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने में मदद करती है। साथ ही किराए पर संपत्ति देने से आपको वित्तीय सुरक्षा भी मिलती है।
2. मेंटेनेंस शुल्क की बचत : भारत के कई शहरों और महानगरों में घर, फ्लैट, बिल्डर फ्लोर और दुकान आदि पर हर महीने मेंटेनेंस शुल्क देना पड़ता है। लेकिन वहीं इन प्रॉपर्टी को किराए पर देते हैं तो मेंटेनेंस शुल्क किरायेदार को ही देना पड़ता है जिससे आपके खर्चों में बचत होती है।
3. प्रॉपर्टी के मूल्य की वृद्धि : किराए पर घर देने से आपके प्रॉपर्टी/संपत्ति के मूल्य में वृद्धि होती है। अगर किसी स्थान पर किराये पर घर की डिमांड ज्यादा है तो वहां पर संपत्ति के मूल्यों में काफी वृद्धि होती है।
4. लचीलापन: जब आप किसी प्रॉपर्टी के मालिक होते हैं और किसी कारण दूसरे शहर में जाते है तो आपको हमेशा अपने घर की चिंता लगी रहती होगी लेकिन जब आप अपने घर को किराये पर देते हैं तो आप बिना टेंशन के आसानी से अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो सकते हैं।
दोस्तों अगर आप एक प्रॉपर्टी ओनर है और अपने घर या प्रॉपर्टी को किराए पर देना चाहते हैं तो किराएदार के वेरिफिकेशन के साथ-साथ रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं। रेंट एग्रीमेंट किराएदार के लिए भी एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट होता है। किराएदार को भी रेंट एग्रीमेंट बनवाने पर ध्यान देना चाहिए।
क्या होता है रेंट अग्रीमेंट? – What Is Rent Agreement?
रेंट अग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज होता है जो मकान मालिक और किराएदार के बीच हुए समझौते का उल्लेख करता है। इस रेंट अग्रीमेंट में हर महीने किराए के अमाउंट और पेमेंट की ड्यू डेट तथा लेट फीस का जिक्र होता है। सिक्योरिटी के रूप में कितना पैसा लिया या दिया गया है, यह भी लिखा होता है।
रेंट अग्रीमेंट का उद्देश्य दोनों पक्षों की सुरक्षा प्रदान करना होता है। यह किरायदार को संपत्ति का रहने का अधिकार देता है, जबकि मालिक को उसकी संपत्ति की सुरक्षा और अपनी अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा हर साल कितना किराया बढ़ा सकता है, यह भी समझौते में लिखा होता है।
भारत में रेंट एग्रीमेंट कैसे बनवाएं?
भारत में रेंट एग्रीमेंट बनवाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- संपत्ति के विवरण : सबसे पहले, संपत्ति के विवरण को स्पष्ट करें, जैसे कि संपत्ति का पता, उसका आकार, संपत्ति के मिलने वाली अन्य सुविधाएँ और उसके उपयोग का नियम क्या है?
- किरायेदार का नाम : रेंट एग्रीमेंट में किरायेदार का नाम, किरायेदार का स्थायी पता, और मोबाइल नंबर आदि शामिल करें।
- मासिक किराया और जमा राशि : किरायेदार को हर महीने कितना किराया देना है और एडवांस के रूप में जमा की गयी राशि को स्पष्ट करें। साथ ही किरायेदार के बीच किराया की अवधि को निर्धारित करें जैसे कि महीने, वर्ष आदि
- सुविधाएँ और नियम : किरायेदार को संपत्ति के साथ साथ दी जाने वाली अन्य सुविधाएँ और उसका उपयोग करने का नियम को भी मेंशन करें। इसके अलावा किरायेदार अगर रेंट टाइम पर नहीं देता है तो उसे लेट फीस कितनी देनी होगी, इसे भी रेंट एग्रीमेंट में शामिल करें।
इन सभी नियम और समझौते को ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद उसे दोनों पक्षों के द्वारा हस्ताक्षर किया जाना चाहिए। इसके साथ इस समझौते को एक पंजीकृत अधिकारी के समक्ष साक्षात्कार करवाएं ताकि यह विधिक रूप से मान्य हो सके। रेंट एग्रीमेंट को ध्यानपूर्वक बनाएं। यही एग्रीमेंट आपकी प्रॉपर्टी की देखभाल में मदद करेगा और प्रॉपर्टी की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
दोस्तों रेंट एग्रीमेंट के साथ-साथ किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन भी करना उतना ही जरूरी है। आईए जानते हैं कि किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन क्यों जरूरी है?
किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन क्यों जरूरी है?
दोस्तों किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन कई कारणों से जरूरी होता है। पुलिस वेरिफिकेशन के माध्यम से, किरायेदार का अपराधिक मामलों की जांच की जाती है और पता लगाया जाता है कि उसकी पिछली किसी गंभीर अपराधिक गतिविधि का कोई इतिहास है या नहीं। किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो संपत्ति के मालिक और किराएदार दोनों को सुरक्षित रखती है।
पुलिस वेरिफिकेशन विफल होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार किरायेदारों को एक महीने की कैद और 200 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
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निष्कर्ष/Conclusion
दोस्तों आज के लेख में हमने जाना की क्या किराए पर घर देना सुरक्षित है? किराए पर घर लेते व देते समय किन बातों का ख़्याल रखना चाहिए। इसके अलावा रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? और भारत में रेंट एग्रीमेंट कैसे बनाया जाता है। इन सभी बिंदुओं पर हमने आपको जानकारी देने की कोशिश की है।
उम्मीद करता हूं आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जानकारी को समझ सके।
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