जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है? : जब आप लोग कोई भी जमीन का रजिस्ट्री कराने जाते हैं तो रजिस्ट्री कार्यालय यानी निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री खर्च लगता है। बहुत से लोगों को यह आपको मालूम नहीं होता है कि जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है? जिन लोग इस सरकारी खर्च के बारे में पता करने के लिए रजिस्ट्री कार्यालय में जाते हैं और वहां पर किसी वकील या सलाहकार से रजिस्ट्री खर्च के बारे में पूछते हैं। कई बार इस छोटी सी सलाह से लिए वकील या सलाहकार पैसे फीस के तौर पर ले लेता है लेकिन अब आपको कहीं भी जाकर जानकारी प्राप्त करने की जरूरत नहीं है।
आज के इस टॉपिक में हमलोग बात करेंगे कि जिस जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है? या बैनामा कराने में कितना पैसा लगता है? उसमें कितना खर्च लगता है जिससे आप पहले से ही पाएंगे कि जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है?। इन्हीं सभी टॉपिक पर आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
सबसे पहले आइये जानते हैं कि जमीन की रजिस्ट्री क्या होती है?
जमीन की रजिस्ट्री क्या है? What Is Land Registry?
जब भी हम किसी जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदते है, तो हम उस जमीन को राजस्व विभाग में रजिस्टर करवाते हैं, इसी प्रक्रिया को जमीन का रजिस्ट्री कहते है। बिना जमीन की रजिस्ट्री के उस जमीन पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। जमीन की रजिस्ट्री के बिना हमें बहुत सारे कठिनाइयों का सामने करना पड़ सकता है।
जमीन का रजिस्ट्री करवाने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। जैसे कि :
- आधार कार्ड
- पासपोर्ट फोटो
- जमीन के पेपर
- जमीन खाता प्रमाण पत्र
- प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें
- बैंक चेक या फिर पैसे के लेनदेन का विवरण
- 2 गवाह आदि
जमीन रजिस्ट्री कराने के बाद जमीन मालिक का नाम हटाकर आपका नाम दर्ज कर दिया जाता है। अब यह सारी प्रक्रिया ऑनलाइन रजिस्ट्रार ऑफिस या तहसील में होती है। जमीन की रजिस्ट्री हो जाने के बाद आपके पास एक मुख्य डॉक्यूमेंट हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप उस जमीन पर मालिकान हक़ जाता सकते हैं। इसी प्रक्रिया को जमीन की रजिस्ट्री कहा जाता है।
जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है?
जब किसी जमीन को क़ानूनी प्रक्रिया द्वारा पहले वाले व्यक्ति के नाम की जगह दुसरे व्यक्ति की नाम दर्ज किया जाता है, इस प्रक्रिया में लगने वाले फ़ीस को ही रजिस्ट्री फ़ीस कहा जाता है। यह फ़ीस अलग-अलग जमीन पर अलग-अलग होता है।
सबसे पहले आपको ये जानना जरूरी है की जब हम किसी जमीन की रजिस्ट्री या बैनामा कराते हैं तो कौन कौन से चार्ज लगते हैं?
- रजिस्ट्रेशन शुल्क
- स्टांप शुल्क
- वकील फीस
उत्तर प्रदेश में जमीन की रजिस्ट्री में लगने वाले शुल्क
लिंग | स्टाम्प ड्यूटी | रजिस्ट्रेशन शुल्क |
पुरुष | 7% | 1% |
महिला | 6% | 1% |
संयुक्त (पुरुष + महिला) | 6.5% | 1% |
संयुक्त (महिला + महिला) | 6% | 1% |
संयुक्त (पुरुष + पुरुष) | 7% | 1% |
जब भी हम किसी जमीन या प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री या बैनामा करवाने के लिए भूलेख विभाग में जाते हैं तो आमतौर पर ये 3 तरह के फीस लगते हैं। चलिए हमलोग इन सभी फीस के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
रजिस्ट्रेशन शुल्क
रजिस्ट्रेशन शुल्क को हिंदी में प्रॉपर्टी का पंजीकरण शुल्क भी कहते हैं। रजिस्ट्रेशन शुल्क संपत्ति को पंजीकृत करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस द्वारा लगाया जाता है। यह शुल्क आमतौर पर संपत्ति के मूल्य का एक छोटा प्रतिशत होता है। ज्यादातर राज्यों में पंजीकरण शुल्क संपत्ति मूल्य के 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत तक होता है। भारत में रजिस्ट्रेशन शुल्क सम्पति के टाइटल पर भी निर्भर करता है।
मानलीजिए कि आपने कोई जमीन खरीदी है जिसका मूल्य 10 लाख रुपये है तो उस पर रजिस्ट्रेशन शुल्क 1 प्रतिशत यानी की 10 लाख रुपये का 1% = 10,000 रुपये होगा। अब कुल भुगतान की जाने वाली कुल राशि = 10,10,000 रुपये होगी।
स्टांप शुल्क
स्टाम्प शुल्क राज्य सरकार द्वारा प्रॉपर्टी या संपत्ति के स्वामित्व की बिक्री पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स/कर है। स्टाम्प शुल्क भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत देना अनिवार्य है। इसके अलावा राज्य सरकारें अपना राजस्व बढ़ाने के लिए भी स्टाम्प शुल्क लगाती है। आमतौर पर स्टाम्प शुल्क 5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत तक हो सकती हैं। यह स्टाम्प शुल्क ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों पर भी निर्भर करती है। शहरी क्षेत्रों में स्टाम्प शुल्क ज्यादा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाम्प शुल्क कम लगता है। कई राज्यों में महिलाओं को स्टाम्प शुल्क में छूट भी दी जाती है।
वकील फीस
जब भी आप प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन करने के लिए रजिस्टार ऑफिस जाते हैं तो आपको वकील की सहायता लेनी होगी। वकील आपकी सारी डॉक्यूमेंट को चेक करके एक सेल डीड (बिक्री विलेख) तैयार करेगा, जिसके लिए वह आपसे कुछ चार्ज भी ले सकता है। यह वकील फीस हर वकीलों की अलग-अलग हो सकती है लेकिन आमतौर पर ₹2000 से लेकर ₹3000 तक हो सकती है।
नोट : आपको बता दें कि रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टांप शुल्क सर्किल रेट पर निर्भर करता है। सर्किल रेट पर ही यह दोनों प्रकार के शुल्क तय किए जाते हैं। सर्किल रेट एक सरकारी रेट होता है जो राज्य सरकारें अलग अलग जगहों का अपना रेट फिक्स करती है।
इन्हें भी पढ़े – जमीन का सर्किल रेट क्या होता है? – What Is Circle Rates In Real Estate?
सर्किल रेट पता करने के लिए आप राज्य सरकारों की राजस्व विभाग के ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर सर्किल रेट पता कर सकते हैं। इसके अलावा आप सर्किल रेट ऑफलाइन भी पता कर सकते हैं। आप अपने नजदीकी तहसील जाकर भी पता कर सकते हैं।
निष्कर्ष/ Conclusion
दोस्तों आज हमने जाना कि जमीन की रजिस्ट्री कराने में कितना पैसा लगता है?, जमीन की रजिस्ट्री में कौन कौन से चार्ज लगते हैं। इस लेख में हमने आपको संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। साथ ही हमने आपको बताया है आप अपने इलाके का सरकारी रेट कैसे पता कर सकते हैं।
जमीन की रजिस्ट्री के बाद जमीन या प्रॉपर्टी का दाखिल खारिज जरूर करवाना चाहिए। जमीन के दाखिल खारिज होने के बाद ही आप उस प्रॉपर्टी के संपूर्ण रूप से मालिक बन पाते हैं। जमीन रजिस्ट्री कराना एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें प्रॉपर्टी खरीददार को ट्रांसफर की जाती है। जमीन की रजिस्ट्री के समय उससे जुड़े हुए सारे डॉक्यूमेंट चेक करना बहुत जरूरी होता है।
उम्मीद करता हूं आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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Rajesh kumar